सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

चुनाव में बोले जाने वाली बातो का क्या कहना ....!

चुनाव में बोले जाने वाली बातो का क्या कहना ....!



जैसा की आप सभी पाँच राज्यो के चुनाव में शामिल है ही कोई सीधे तौर पर तो कोई न्यूज़ सुनकर अपनी राय बनाता और देता है ।
 अभी पंजाब में चुनाव हो चुके है, पंजाब के नेताओ की किस्मत अब EVM में बंद हो चुकी है , लेकिन अभी बाकि राज्यो में बाकि है , यूपी में पहले चरण के मतदान हो चुके है ।  बाकि जगह चुनाव बाकि है , 
मित्रो मेरा ध्यान और आप सभी का ध्यान चुनाव में नेताओ द्वारा बोली गयी बातो पर जरूर जाता होगा , जब नेता सामान्य दिन में होते है तो वो भी सामान्य होते है लेकिन चुनाव आते ही पता नहीं क्या हो जाता है बोलने में ये किसी भी मर्यादा का पालन नहीं कर पाते, और विरोधी भी हर गलत बात को भुनाने के लिए तत्पर रहता है ।
अभी प्रश्न ये है की क्या ये जानभूझ कर ऐसा  बोलते है या बोलने के प्रवाह में बोल जाते है ? कोई सोची समझी रणनीति होती है या वक्त और जगह की मांग होती है ।
आप सभी का मत इस पर अलग अलग हो सकता है , आप सभी को अपनी विचार धारा के नेता के साथ लगाव रहता ही होगा , और उनकी बातो का आप अपने स्तर पर बचाव भी करते होंगे ,
लेकिन मेरा मानना ये है की जो चुनाव में करोड़ो रूपये खर्च करते है , चुनाव तैयारी के लिए थिंग टेंक रखते है , चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने के लिए लाखो के वेतन पर IIT IIM जैसे संस्थानों के योग्य लोग काम करते है , सालो साल सर्वे करते है 100 बिंदु को ध्यान रख कर अपने उम्मीदवार का टिकट तय करते है वो कुछ भी ऐसे ही नहीं बोल सकते ।

मतलब चुनाव में बोले जाने वाली हर बात का कोई न कोई मतलब जरूर होता है और नेता कुछ ऐसा बोल ही देते है की जो एक समुदाय को बुरा लगे तो दूसरा समुदाय को अच्छा लगे , और वो इनके साथ जुड़ जाये ।
नेता किसी को बुरा बता कर डराते है तो खुद को मसीह साबित करने की कोशिश करे है , लेकिन ये केवल अपनी राजनीती चमकाने का तरीका भर है , आप और हम सामान्य आदमी की तरह इन के बातो के जाल में फस जाते है । 
हम धरातल की सच्चाई ( जहाँ हम और आप रहते है ) को रोज महसूस करते है लेकिन चुनाव के टाइम पर नेता की कही बात को सच मन कर सोचने लगते है। ये केवल प्रचार का प्रभाव है की नेता अपनी बात को जबरजस्ती मनवाने में सफल भी हो जाते है । 
लेकिन हमे भी अपने बेहतर भविष्य के लिए सभी बातो पर सोच विचार कर ही निर्णय लेना चाहिए । आज जो साथ है कल तक अलग अलग थे , आज जो अलग अलग है कल मिलकर सत्ता का आनंद भी लेंगे  ।
इस लिए नेता के कहे बातो पर चुनावी परत को हटा कर जरूर देखे तभी कोई फैसल ले , कोई बुरा आदमी अच्छा नेता नहीं हो सकता इस लिए सभी अपने क्षेत्र के केवल अच्छे लोगो को ही वोट करे जिस से कल को वो साथ रहे या अलग रहे सभी अच्छे ही रहे ।


रविवार, 5 फ़रवरी 2017

love Vs truelove

UP चुनाव 2017

UP चुनाव 2017 के चुनाव तारीख और अपने क्षेत्र में चुनाव की तारीख जाने और भी आसान तरीके से , साधारण चित्रो द्वारा 
UP चुनाव 2017 के चुनाव तारीख और अपने क्षेत्र में चुनाव की तारीख जाने और भी आसान तरीके से , साधारण चित्रो द्वारा 




UP चुनाव 2017 के चुनाव तारीख और अपने क्षेत्र में चुनाव की तारीख जाने और भी आसान तरीके से , साधारण चित्रो द्वारा 

UP चुनाव 2017 के चुनाव तारीख और अपने क्षेत्र में चुनाव की तारीख जाने और भी आसान तरीके से , साधारण चित्रो द्वारा 

UP चुनाव 2017 के चुनाव तारीख और अपने क्षेत्र में चुनाव की तारीख जाने और भी आसान तरीके से , साधारण चित्रो द्वारा
UP चुनाव 2017 के चुनाव तारीख और अपने क्षेत्र में चुनाव की तारीख जाने और भी आसान तरीके से , साधारण चित्रो द्वारा 
मेरी छोटी सी कोशिस है अगर आप को पसंद आये तो लाइक कॉम्मनेट और सब्स्क्रिब जरूर करे , और अगर न पसन्द आये तो अपनी आपत्ति भी बताये । हम दोनों का स्वागत करते है ।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य बोले संघ आरक्षण के खिलाफ नहीं!


जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य से पूछे गये सवाल को पूरा मीडिया जगत गलत ढंग से दिखा रहा है. आपको बता से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आरएसएस पहली बार हिस्सा ले रहा है और इस मौके पर जब संघ प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य से सवाल जवाब चल रहे थे तभी एक सवाल आया कि,
आज की परिदृश्य में मुस्लिम को आरक्षण देना क्या एक उपाय है? क्या आपको लगता है सामान अधिकार औरअवसर लोगो को मिलना चाहिए? अल्पसंख्यकों की जो वर्तमान में स्थिति है वो कई राज्यों में खराब रही है, आपको क्या लगता है?
मनमोहन वैद्य ने इस प्रश्न का उत्तर कुछ इस तरह दिए जिसको इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तोड़ मरोड़ के दिखा रही है,
वैद्य ने बोला था की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एसटी-एससी) को मिलने वाले आरक्षण को सही बताया और कहा कि संघ कभी भी एसटी-एससी आरक्षण के खिलाफ नहीं रहा है, बल्कि संघ धर्म के नाम पर मिलने वाले आरक्षण का विरोध करता है. डॉ आंबेडकर ने कहा है किसी भीराष्ट्र में हमेशा के लिए आरक्षण का प्रावधान रहना यह अच्छी बात नहीं है. जल्द से जल्द इसका महत्त्व निरस्त होकर सामान अवसर देने का समय आना चाहिए.
मनमोहन वैद्य ने आगे जवाब दिया कि आरक्षण खत्म होना चाहिए का मतलब यह नहीं होता.सबको समान अवसर और शिक्षा के अवसर मिले, उन्होंने डॉ भीम राव आंबेडकर के कहे हुए शब्द दुबारा प्रस्तुत किये थे.
यह पहली बार है जब संघ की कोर टीम के दो दिग्गज सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय हॉसबोले और अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल में हिस्सा लिया.

सोमवार, 16 जनवरी 2017

UP में सात चरणों में होगा चुनाव , जानिए कब होंगे चुनाव आप की विधान सभा क्षेत्र में
उत्तर प्रदेशः सात चरणों में चुनाव 
  • Notification – January 17, 2017
  • Last date of nominations – January 24, 2017
  • Scrutiny of nominations – January 25, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – January 27, 2017
  • Elections will be held on February 11, 2017
  • more..
दूसरे चरण में 67 सीटें के‌ लिए 15 फरवरी को चुनाव
2nd Phase: 67 Constituencies – 11 Districts
  • Notification – January 20, 2017
  • Last date of nominations – January 27, 2017
  • Scrutiny of nominations – January 28, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – January 30, 2017
  • Elections will be held on February 15, 2017
तीसरे चरण की 69 सीटों के लिए 19 फरवरी को चुनाव
3rd Phase: 69 Constituencies – 12 Districts
  • Notification – January 24, 2017
  • Last date of nominations – January 31, 2017
  • Scrutiny of nominations – February 02, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – February 04, 2017
  • Elections will be held on February 19, 2017
चौथे चरण की 53 सीटों के लि‌ए 23 फरवरी को चुनाव
4th Phase: 53 Constituencies – 12 Districts
  • Notification – January 30, 2017
  • Last date of nominations – February 06, 2017
  • Scrutiny of nominations – February 07, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – February 09, 2017
  • Elections will be held on February 23, 2017
पांचवे चरण की 52 सीटों के लिए 27 फरवरी को चुनाव
5th Phase: 52 Constituencies – 11 Districts
  • Notification – February 02, 2017
  • Last date of nominations – February 09, 2017
  • Scrutiny of nominations – February 11, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – February 13, 2017
  • Elections will be held on February 27, 2017
छठवें चरण की 43 सीटों के लिए 4 मार्च को चुनाव
6th Phase: 49 Constituencies – 7 Districts
  • Notification – February 08, 2017
  • Last date of nominations – February 15, 2017
  • Scrutiny of nominations – February 16, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – February 18, 2017
  • Elections will be held on March 04, 2017
सातवें चरण की 40 सीटों के लिए 8 मार्च को चुनाव
7th Phase: 40 Constituencies – 7 Districts
  • Notification – February 11, 2017
  • Last date of nominations – February 18, 2017
  • Scrutiny of nominations – February 20, 2017
  • Last date for withdrawal of nominations – February 22, 2017
  • Elections will be held on March 08, 2017

Schedule for the General Elections to the Legislative Assemblies of

Goa

Manipur

Punjab

Uttarakhand

Uttar Pradesh

The terms of the Legislative Assemblies of Goa, Manipur, Punjab, Uttarakhand and Uttar Pradesh are normally due to expire as follows:
Goa-----------------------------18.03.2017
Manipur -----------------------18.03.2017
Punjab -------------------------18.03.2017
Uttarakhand ------------------26.03.2017
Uttar Pradesh ----------------27.05.2017
भारत के पांच राज्यो में चुनाव की तिथि जारी कर दी गयी है , चुनाव से सम्बंधित रोचक जानकारी और अपने राज्य की विधानसभा से जुड़े तथ्यों की जानकारी के लिए आप इस वेबसाइट को फॉलो करते रहे ।

StateTotal No. of ACsReserved for SCsReserved for STs
Goa401--
Manipur60119
Punjab11734--
Uttarakhand70133
Uttar Pradesh4038502

Goa Manipur Punjab Uttarakhand Uttar Pradesh

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. क्या एक गैर नागरिक, अभ्य‍र्थी हो सकता है?

उत्तर-नहीं।
एक गैर नागरिक, निर्वाचनों में निर्वाचन लड़ने वाला अभ्यर्थी नहीं हो सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84(क) में यह परिकल्पित है कि कोई व्यक्ति संसद में सीट को भरने के लिए चुने जाने हेतु तब तक पात्र नहीं होगा जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो। संविधान के अनुच्छेद 173(क) में राज्य विधान सभाओं के लिए इसी प्रकार का प्रावधान है।

प्रश्न 2. लोक सभा या विधान सभा का अभ्यर्थी होने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?

उत्तर-पच्चीस वर्ष।
भारतीय संविधान के अनुच्छे।द 84(ख) में यह प्रावधान है कि लोक सभा निर्वाचन हेतु अभ्य‍र्थी होने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होगी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 36(2) के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 173(ख) के द्वारा विधान सभाओं के अभ्य‍र्थी होने के लिए यही प्रावधान है।

प्रश्न 3. यदि मैं किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हूं, तो क्या मैं निर्वाचन लड़ सकता हूं?

उत्तर- नहीं।
अभ्य।र्थी के रूप में निर्वाचन लड़ने के लिए व्यक्ति को मतदाता के रूप में अवश्य पंजीकृत होना चाहिए। लोक प्रतिनिधित्वय अधिनियम, 1951 की धारा 4(घ) व्यक्ति को निर्वाचन लड़ने से प्रतिबाधित करता है जब तक वह किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में एक निर्वाचक न हो। लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 5(ग) में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए यही प्रावधान है।

प्रश्न 4. मैं दिल्ली में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत हूं। क्या मैं हरियाणा या महाराष्ट्र्, या उड़ीसा से लोक सभा का निर्वाचन लड़ सकता हूं?

उत्तर- हां।
यदि आप दिल्ली में एक पंजीकृत मतदाता हैं, तो आप लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 4(सी), 4(सी सी) तथा 4(सी सी सी) के अनुसार असम, लक्षद्वीप तथा सिक्किम को छोड़कर देश में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा का निर्वाचन लड़ सकते हैं।

प्रश्न 5 . यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध का दोषी है और उसे 3 वर्ष की सजा दी जाती है, तो क्या वह निर्वाचन लड़ सकता है?

उत्तर-नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध का दोषी है तथा 2 वर्ष या इससे अधिक की सजा दी गई है, तो वह निर्वाचनों को लड़ने के लिए अपात्र होगा।

प्रश्न 6 . यदि वह जमानत पर है, उसके अपील का निपटान लंबित है, तो क्या‍ वह निर्वाचन लड़ सकता है?

उत्तर- नहीं
यद्यपि कोई व्यक्ति दोष सिद्ध‍ होने के पश्चात जमानत पर है, तथा उसकी अपील निपटान के लिए लंबित है, तो वह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्वाचन लड़ने से निरर्हित किया जाता है।


प्रश्न 7 . क्या कोई व्यक्ति जेल में बंद रहकर निर्वाचन में मत डाल सकता हैै?

उत्तर-नहीं
लोक प्रतिनिधित्व, अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के अनुसार, जेल में बंद कोई भी व्यक्ति निर्वाचन में मत नहीं डालेगा, चाहे वह कारावास की सजा के अधीन हो या देश निकाला हो या अन्थानुस, या पुलिस की कानूनी हिरासत में हो।

प्रश्नू 8. प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रतिभूति राशि जमा कराना अपेक्षित है। लोक सभा निर्वाचन के लिए प्रतिभूति जमा राशि कितनी है?

उत्तर-पच्ची्स हजार रुपए।
लोक प्रतिनिधित्वह अधिनियम, 1951 की धारा 341(क) के अनुसार, प्रत्येतक व्यक्ति को लोक सभा निर्वाचनों के लिए 25000/- रु. (मात्र पच्ची्स हजार रुपए) की प्रतिभूति राशि जमा कराना अपेक्षित है।

प्रश्न 9. क्या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी के लिए कोई छूट है?

उत्तर- हां
लोक प्रतिनिधित्व‍ अधिनियम, 1951 की उसी धारा 34 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के अभ्य्र्थी के लिए 12,500 रु. (मात्र बारह हजार पांच सौ रुपए) की प्रतिभूति राशि जमा कराना अपेक्षित है।

प्रश्न 10 . विधान सभा के लिए प्रतिभूति जमा राशि कितनी है?

उत्तर- दस हजार रुपए।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(ख) के अनुसार विधान सभा का निर्वाचन लड़ने वाले सामान्यय अभ्यर्थी को 10,000/- रुपए की प्रतिभूति राशि जमा करानी होगी। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी को 5000/- (मात्र पांच हजार रुपए) की प्रतिभूति राशि जमा करनी होगी।


प्रश्न 11. इससे पूर्व लोक सभा निर्वाचन के लिए प्रतिभूति जमा राशि कितनी थी?

उत्तर- 1996 एवं इससे पूर्व में आयोजित लोक सभा निर्वाचन के दौरान सामान्य तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी के लिए प्रतिभूति जमा राशि क्रमश: 500/- रुपए (मात्र पांच सौ रुपये) तथा 250/-रुपए (मात्र दो सौ पचास रुपए) थी।

प्रश्न 12 . पूर्व में विधान सभा के निर्वाचनों के लिए प्रतिभूति जमा राशि कितनी थी?

उत्तर- 1996 तथा इससे पूर्व में आयोजित विधान सभा निर्वाचनों के दौरान सामान्यत तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए प्रतिभूति जमा राशि क्रमश: 250/- (मात्र दो सौ पचास रुपए) तथा 125/- (मात्र एक सौ पच्चीस रुपए) थी।

प्रश्न 13 . प्रतिभूति जमा राशि में कब बदलाव किया गया?

उत्तर- 2009 की अधिनियम 41 द्वारा लगभग 1-2-2010 से प्रतिभूति जमा राशि की वृद्धि में परिवर्तन किया गया।

प्रश्न 14 . यदि आप एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्यीय दल के अभ्यर्थी हैं, तो आपको अपने नामांकन के लिए कितने प्रस्तावकों की आवश्यकता है?

उत्तर- केवल एक
यदि आप एक मान्यता प्राप्त राष्ट्री्य/राज्यीय दल के अभ्यर्थी हैं, तो लोक प्रतिनिधित्व् अधिनियम, 1951 की धारा 33 के द्वारा निर्वाचन क्षेत्र के प्रस्ता्वक के रूप में केवल एक निर्वाचक की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 15. यदि आप एक निर्दलीय अभ्यर्थी हैं या गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के एक अभ्यर्थी हैं तो आपको कितने प्रस्तावकों की आवश्यकता है?

उत्तर- दस
लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 33 में यह प्रावधान है कि एक निर्दलीय अभ्यर्थी या गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के एक अभ्यर्थी के रूप में निर्वाचन क्षेत्र से दस निर्वाचकों को प्रस्तावकों आपके नामंकन पत्र पर हस्तािक्षर करने चाहिएं।

प्रश्न 16. क्या कोई व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कितने भी निर्वाचन क्षेत्रों से लोक सभा/ विधान सभा का निर्वाचन लड़ सकता है?

उत्तर- नहीं
लोक प्रतिनिधित्वन अधिनियम, 1951 की धारा 33(7) के अनुसार, एक व्यक्ति दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से लोक सभा/विधान सभा का निर्वाचन नहीं लड़ सकता है।


प्रश्न 17 . किस अभ्यर्थी को प्रतिभूति जमा राशि को गंवाना पड़ता है?

उत्तर- 3354 । एक हारा हुआ अभ्यर्थी, जो निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए मान्यै मतों का छठा भाग प्राप्त करने में असफल रहता है, उसे प्रतिभूति जमा राशि गंवानी पड़ती है।

प्रश्न 18. अब तक भारत में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी ‍निर्वाचन में अभ्यर्थियों की अधिकतम संख्या कितनी रही है?

उत्तर- 1996 में तमिलनाडु विधान सभा के साधारण निर्वाचन के दौरान तमिलनाडु के मोडाक्कुुरिचि विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में 1033 निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी थे। मतपत्र पुस्तिका के रूप में थी।

प्रश्न 19. निर्वाचन आयोग ने कुछ राजनैतिक दलों को राष्ट्रीय दलों के रूप में और कुछ अन्य‍ को राज्यीय दलों के रूप में मान्यता प्रदान की है। कितने राष्ट्रीय और कितने राज्यी‍य दल हैं?

उत्तर- वर्ष 2004 में साधारण निर्वाचनों के समय भारत निर्वाचन आयोग ने 6 राजनैतिक दलों को राष्ट्रीय दलों के रूप में तथा 36 राजनैतिक दलों को भिन्न-भिन्न राज्यों् में राज्यीय दल के रूप में मान्यता प्रदान की है।

प्रश्न 20. मतदान के दिन प्रत्ये क मतदाता को मतदान करने के लिए मतदान केन्द्र तक जाना पड़ता है। प्राय: निर्वाचन आयोग के मानकों के अधीन एक मतदान केन्द्र पर कितने मतदाताओं को नियत किया जाता है?

उत्तर- रिटर्निंग अधिकारी के लिए हस्त पुस्तिका के अध्यााय –II के पैरा 2 में यथा निहित निर्वाचन आयोग के अनुदेशों के अनुसार, एक मतदान केन्द्र , लगभग 800-1000 निर्वाचकों को प्राय: कवर करते हुए, सु-निर्धारित मतदान क्षेत्र के लिए उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। यद्यपि, अपवादी मामलों में, बड़े गावों या शहरी क्षेत्र में किसी मतदान क्षेत्र को तोड़ने से बचाने के लिए ऐसी संख्याए 1000 से अधिक हो सकती है। जब संख्या 1200 से अधिक हो जाती है तो अतिरिक्त मतदान केन्द्र् स्थापित किये जाने चाहिए। समाज के कमजोर हिस्से द्वारा बसाए गए इलाकों में मतदान केन्द्र स्थापित करने का प्रावधान है यद्यपि संख्या‍ 500 से कम हो सकती है। यदि वहां कुष्ट आरोग्य, निवास है तो केवल संबंधियों के लिए एक अलग मतदान केन्द्रय स्थाापित किया जा सकता है। देश में मतदान केन्द्रों के युक्तिकरण के लिए आयोग ने आदेश जारी किए है और निर्वाचकों की सीमा प्रति मतदान केन्द्र 1500 तक बढ़ा दी गई है क्योंकि अब इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।

प्रश्न 21. प्राय: आयोग के मानकों के अधीन, आपके घर से मतदान केन्द्र कितनी दूर हो सकता है?

उत्तर- 2 कि. मीटर से अधिक नहीं
रिटर्निंग अधिकरी के लिए हस्तपुस्तिका के अध्याय–II के पैरा 3 के अनुसार, मतदान केन्द्र इस प्रकार स्थापित किए जाने चाहिएं कि साधारणत: किसी मतदाता को अपने मतदान केन्द्र तक पंहुचने के लिए 2 कि.मी. से अधिक यात्रा न करनी पडे़।

प्रश्न् 22. जब आप अपने मतदान केन्द्र की तरफ जा रहे हों और कोई अभ्यर्थी या उसके एजेंट आपको मतदान केन्द्र तक नि:शुल्क् लिफ्ट की पेशकश करते हैं। क्या् आप उस लिफ्ट की पेशकश को स्वी्कार कर सकते हैं?

उत्तर- नहीं
लोक प्रतिनिधित्व/ अधिनियम, 1951 की धारा 123(5) के अधीन यह एक भ्रष्ट आचरण है। यह अपराध उक्ति अधिनियम की धारा 133 के अधीन कारावास से जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकती है और/या जुर्माने से दंडनीय है।

प्रश्न 23. अपना मत डालने के बाद जब आप वापिस अपने घर जा रहे हों क्या उस समय आप ऐसी लिफ्ट की पेशकश स्वीकार कर सकते हैं?

उत्तर-नहीं
उपर्युक्त् अनुसार धारा 123(5) के अधीन भ्रष्ट आचरण का प्रावधान किसी निर्वाचक को किसी मतदान केन्द्र तक या से ले जाने को कवर करेगा।

प्रश्न 24. कोई आपको किसी अभ्यर्थी के लिए मतदान करने हेतु कुछ धन की पेशकश करता है। क्या आप ऐसे धन को स्वीकार कर सकते हैं?

उत्तर- नहीं
किसी अभ्यर्थी के लिए मतदान करने हेतु धन को स्वीकार करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के अधीन ''रिश्वत'' का भ्रष्ट आचरण है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171-ख के अधीन कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माने या दोनों से दंडनीय है।

प्रश्न 25. कोई आपको किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान नहीं करने हेतु धन की पेशकश करता है क्यान आप ऐसे धन को स्वीीकार कर सकते हैं?

उत्तर- नहीं
यदि कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान नहीं करने हेतु धन स्वीीकार करता है तो यह रिश्वत का भ्रष्ट आचरण होगा।

प्रश्न26. कोई आपको किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या मतदान न करने के लिए आपको व्हिस्की, मदिरा या अन्य मादक वस्तुओं की पेशकश करता है या आपको रात्रि भोज देता है। क्या आप ऐसी पेशकश को स्वीकार कर सकते हैं?

उत्तर- नहीं
किसी विशिष्ट‍ अभ्यर्थी के लिए मतदान करने या मतदान न करने के लिए मदिरा या अन्य मादक वस्तु्ओं या रात्रि भोज की किसी पेशकश को स्वीकार करना रिश्वत है।


प्रश्न 27. क्या कोई धार्मिक या आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक अपने अनुनायियों को किसी विशिष्टं अभ्यर्थी के लिए मतदान करने हेतु यह कहते हुए निदेश दे सकता है कि अन्यथा वे दैवीय प्रकोप के भागी होंगे?

उत्तर- नहीं
यदि कोई व्यक्ति मतदाता को यह कहते हुए किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने हेतु प्रभावित या कोशिश करता है कि अन्य था वे दैविय प्रकोप के भागी होंगे तो वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के अधीन मतदाता पर अनुचित प्रभाव डालने के भ्रष्ट आचरण का दोषी होगा। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171ग के अधीन एक अपराध भी है और कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकती है या जुर्माने से, या दोनों से दण्डनीय होगा।

प्रश्न 28. क्या कोई मतदाता को धमकी दे सकता है कि यदि वह किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करता है या किसी अन्य विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान नहीं करता है तो उसे समुदाय से बाहर कर दिया जाएगा?

उत्तर- नहीं
मतदाता को किसी भी प्रकार की धमकी देना कि यदि वह किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करता है या किसी अन्य विशिष्ट व्यक्ति के लिए मतदान नहीं करता है तो उसे समुदाय से बाहर कर दिया जाएगा, लोक प्रतिनिधित्व‍ अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के अधीन अनुचित प्रभाव डालने का भ्रष्ट आचरण है। यह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171च के अधीन कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकती है या जुर्माने से, या दोनों से दण्डनीय है।

प्रश्न 29. क्या कोई किसी व्यिक्ति को यह कह सकता है कि उसे विशिष्ट व्यक्ति के लिए मतदान करना चाहिए या नहीं करना चाहिए क्योंाकि अभ्यर्थी विशेष क्षेत्र, जाति या समुदाय से संबंध रखता है या विशेष भाषा बोलता है?

उत्तर- नहीं
कोई किसी व्यक्ति को यह कहता है कि उसे विशिष्ट व्यक्ति के लिए मतदान करना चाहिए या नहीं करना चाहिए क्योंकि वह विशेष क्षेत्र, जाति या समुदाय से संबंध रखता है या विशेष भाषा बोलता है, यह लोक प्रति‍निधित्वक अधिनियम, 1951 की धारा 123(3) के अधीन भ्रष्ट आचरण है।

प्रश्न 30. क्याे एक अभ्यर्थी अपने निर्वाचन में जितना वह चाहता है खर्च करने के लिए स्वतंत्र है?

उत्तर- नहीं
एक अभ्यर्थी अपने निर्वाचन में जितना वह चाहता है खर्च करने के लिए स्वतंत्र नहीं है। विधि निर्धारित करती है कि कुल निर्वाचन व्यय, निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 90 के अधीन निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होगा। यह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(6) के अधीन भ्रष्ट आचरण होगा।


प्रश्न 31. बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचन व्यय के लिए अधिकतम सीमा क्या है?

उत्तर- निर्वाचन व्ययय के लिए अधिकतम सीमा समय-समय पर पुनरीक्षित होती रहती है। वर्तमान में, बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य, प्रदेश में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचन व्य्य की अधिकतम सीमा 40 लाख रु. है।

प्रश्न 32. इन बड़े राज्यों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए ऐसे व्यय की अधिकतम सीमा क्या है?

उत्तर- उपर्युक्त बड़े राज्यों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन व्यय की अधिकतम सीमा 16 लाख रु. है।

प्रश्न 33. वर्ष 2009 में पिछले साधारण निर्वाचन के समय उपर्युक्त राज्यों में संसदीय एवं विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अधिकतम सीमा क्याम थी?

उत्तर- साधारण निर्वाचन, 2009 के समय उपर्युक्त बड़े राज्यों में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन व्यय की अधिकतम सीमा 25 लाख रु. थी और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए 10 लाख रु. थी।

प्रश्न 34. क्या ये अधिकतम सीमाएं सभी राज्यों के लिए एक समान है? यदि नहीं तो वर्तमान में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए निम्नतम सीमा क्या है?

उत्तर-नहीं
निर्वाचन व्यय की अधिकतम सीमा राज्य से राज्य बदलती है। वर्तमान में, संसदीय निर्वाचन क्षेत्र दादरा और नागर हवेली, दमन और दीव तथा लक्ष्द्वीप के निर्वाचन क्षेत्र के लिए निम्नतम सीमा 16 लाख रु. है। गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा एवं पुडुचेरी में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निम्नतम सीमा 8 लाख रु. है।

प्रश्न 35. क्या अभ्यर्थियों को निर्वाचन व्यय का कोई लेखा दाखिल करना अपेक्षित है?

उत्तर-लोक प्रतिनिधित्व3 अधिनियम, 1951 की धारा 77 के अधीन, संसद या राज्य विधान सभाओं के निर्वाचन में प्रत्ये‍क अभ्यर्थी निर्वाचन संबंधी उस सब व्यय का जो उस तारीख जिसको यह नाम निर्दिष्ट किया गया है और उस निर्वाचन के परिणामों की घोषणा की तारीख, जिनके अंतर्गत ये दोनों तारीखें आती हैं, के बीच स्वयं द्वारा या उसके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा उपगत या प्राधिकृत किया गया है पृथक और सही लेखा या तो स्व‍यं या उसके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा रखना अपेक्षित है। प्रत्येक निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी को उक्त खाते की सही प्रति निर्वाचन के परिणाम के 30 दिनों के अंदर दाखिल करनी पड़ती है।

प्रश्न 36. वह प्राधिकारी कौन है जिसके पास ऐसे लेखे दाखिल किए जाते हैं?

उत्तर- प्रत्येक राज्य में, निर्वाचन व्यय का लेखा निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी द्वारा उस निर्वाचन क्षेत्र, जहां से वह निर्वाचन लड़ रहा है, के जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी के पास दाखिल करेगा। केन्द्र् शासित क्षेत्रों के मामले में, ऐसे लेखे संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के पास दाखिल किए जाते हैं।

प्रश्न 37. यदि एक अभ्यर्थी एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ रहा है तो क्या उसे अलग-अलग लेखे या केवल एक समेकित लेखा दाखिल करना अपेक्षित है?

उत्तर- यदि एक अभ्यर्थी एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ रहा है तो उसे प्रत्येक निर्वाचन, जो उसने लड़ा है, के लिए निर्वाचन व्य्य की अलग-अलग विवरणी दाखिल करनी पड़ती है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन अलग-अलग निर्वाचन है।

प्रश्न 38. यदि एक अभ्यर्थी निर्वाचन व्यय का अपना लेखा दाखिल नहीं करता है तो दण्ड क्या है?

उत्तर- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10क के अधीन, यदि निर्वाचन आयोग का समाधान हो जाता है कि कोई व्यिक्ति निर्वाचन व्ययों का लेखा उस समय के भीतर और रीति में जैसी इस अधिनियम के द्वारा या अधीन अपेक्षित है, दाखिल करने में असफल रहा है तथा उस असफलता के लिए कोई अच्छा कारण या औचित्य नहीं रखता है तो आयोग के पास उसे संसद के किसी भी सदन या राज्यअ की विधान सभा अथवा विधान परिषद के लिए सदस्ये चुने जाने या होने के लिए तीन वर्ष की अवधि के लिए निरर्हित करने की शक्ति है।

प्रश्न 39. वह क्या समय है जिसके बाद सार्वजनिक सभाएं एवं जुलूस आयोजित नहीं किए जा सकते है?

लोक प्रतिनिधित्वं अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अनुसार, मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं एवं जुलूस आयोजित नहीं किए जा सकते।

प्रश्न 40. मतदान के दिन उसकी सहमति के बावजूद भी, क्या कोई दूसरे व्यक्ति के नाम पर मतदान कर सकता है?

उत्तर-नहीं
मतदान के दिन उसकी सहमति के बावजूद भी कोई दूसरे व्यक्ति के नाम पर मतदान नहीं कर सकता। यदि वह ऐसा करता है तो यह प्रतिरूपण होगा, जो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171घ के अधीन एक अपराध है। यह अपराध कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकती है या जुर्माने से, या दोनों से दंडनीय है।


प्रश्न 41. क्या‍ कोई एक से अधिक बार मतदान कर सकता है, यदि उसका नाम (गलती से) एक से अधिक स्थानों में शामिल हो?

उत्तर- नहीं
कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बार मतदान नहीं कर सकता है, चाहे उसका नाम एक से अधिक स्थान में शामिल क्यों नहीं हो। यदि वह ऐसा करता है तो वह प्रतिरूपण का दोषी होगा जो उपर्युक्त के अनुसार दंडनीय होगा।

प्रश्न 42. यदि आप अपने मतदान केन्द्र पर जाते हैं और आपको यह पता चलता है कि किसी और व्यक्ति ने आपके लिए प्रतिरूपण कर दिया है और आपके नाम से पहले से ही मतदान कर दिया है तो क्या आप ऐसी परिस्थिति में मतदान कर सकते हैं?

उत्तर-हां
यदि कोई व्यक्ति यह पाता है कि किसी और व्यक्ति ने पहले ही उसके नाम से मतदान कर दिया है तो भी उसे मतदान करने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन, उसके मतपत्र को पीठासीन अधिकारी द्वारा निविदत्त मतपत्र के रूप में चिह्नित किया जाएगा। इसे निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 42 के अनुसार विहित आवरण में अलग से रखा जाएगा।

बुधवार, 4 जनवरी 2017

नमस्कार दोस्तों
आप सभी को पता है की यू.पी. के साथ पाँच राज्यो में चुनाव है । सभी राज्यो के चुनाव वहाँ के लिए महत्वपूर्ण होते है लेकिन यू. पी. के चुनाव पुरे देश के लिए महत्वपूर्ण होते है । और हमारा यूपी है भी इतना बड़ा और जनसंख्या वाला की कोई हमारे यूपी की अनदेखी तो कर ही नहीं सकता । जनसंख्या के साथ इतनी विविधता है हमारे प्रदेश में की पश्चिम से पूर्व की तरफ जाने में रहन सहन, बोलचाल , खान पान सब बदल जाता है । इस लिए हमारे नेताओ को भी भरी मसकत करनी पड़ती है पुरे यूपी को अपनी बात समझने में । और हम यूपी के लोग है जिसको चाहे सर आखो पर बिठा दे और जिसको चाहे गयाब कर दे । आखिर हम इसीलिए तो प्यार से भईया कहे जाते है । हमें कमान भी आता है खाना भी आता है लेकिन राजनीती की चर्चा पर तो हमारा एका अधिकार ही समझो , पान और चाय की दुकान तो हमारे चुनाव चर्चा के ऑफिस समझो जहाँ हम अपनी बात को इतने जोरदार तरीके से रखते है की हमारे विरोधी भी वाह वाह कहने को मजबूर हो जाये ।
अब समय बदल गया है नेट और मोबाईल से हमारी दूरिया और कम होगयी है और हमे भी चर्चा का एक नया मंच मिल गया है , तो दोस्तों आप फिर क्यों पीछे है आईये अपने विचार साझा कीजिए और हमारे विचार भी जानिए ।
आप को इस मंच से चुनाव में पक्ष विपक्ष के साथ अनोखी जानकारी भी मिलेगी जो की आप के बहुत काम आएगी। बस आप को अपने आप को इस पेज से जोड़े रखना है और दोस्तों को भी बताना है की वो इस पेज तक आये।
आप सभी का बहुत स्वागत है और आप अपनी बात बिना हिचक मुझ से शेयर कर सकते है 

चुनाव आयोग ने इस बार क्या नया किया ?
चुनाव आयोग क्या जानकारी दे रहा है मतदाता को?
आप को मतदान स्थल पर क्या क्या सुविधा मिल रही है और क्या क्या मिलनी चाहिए ?
दिव्यांग जन को कैसे वोट दिलवाने के लिए लेकर जाये ? 
और भी बहुत कुछ जानकारी में आप को देता रहूँगा , और आप की बातो को बहुत मन से सुनूँगा ।